Saturday, May 4, 2019

भारत पाकिस्तान के बीच 1965 की जंग में किसकी विजय हुई थी ?

1965 की जंग शायद एक मात्र ऐसी जंग होगी इसमें लड़ने वाले दोनों देश आधिकारिक रूप से जीत का जश्न मानते है।
अगर तटस्थ विशेषज्ञों की बात मानी जाये तो इस लड़ाई में किसी भी पक्ष की जीत नहीं हुई थी और लड़ाई ड्रा हुई थी लेकिंग भारत फायदे के स्थिति में था। मेरा भी यही मत है की इस लड़ाई में किसी की भी निर्णायक जीत नहीं हुई थी। पाकिस्तान ने लड़ाई शुरू की थी और पाकिस्तान अपने उद्देश्यों को पाने में विफल रहा। पाकिस्तान कश्मीर को हासिल करना चाहता था और इस भीषण लड़ाई के बाद भी वो कुछ हासिल नहीं कर सका। इस तरह हम कह सकते है की पाकिस्तान की सामरिक स्तर पर हार हुई थी। लड़ाई शुरू होने के बाद भारत का उद्देश्य ये था की पाकिस्तानी फौजो को कश्मीर घाटी को कब्ज़ा करने से रोका जाये। भारत अपने उद्देश्य में सफल रहा।
अंतरराष्ट्रीय विशेषज्ञों का मानना है की भारत लाहौर और सिआलकोट पर आसानी से कब्ज़ा कर सकता था। भारतीय फौज लाहौर के पास पहुंच कर रुक गयी जिस से पाकिस्तान को कश्मीर से अपनी फौज बुलाने का समय मिल गया और भारत लाहौर पर कब्ज़ा नहीं कर सका। लेकिन भारतीय विशेषज्ञों का मानना है की भारत को लाहौर पर कब्ज़ा ही नहीं करना था। अगर भारत लाहौर पर कब्ज़ा करता तो वहां के लाखो लोगो के रसद पानी का इंतजाम करना परता और कुछ दिनों के बाद भारत को लाहौर लौटना ही परता। इस लिए भारतीय फौज ने लाहौर पर कब्ज़ा करने के लिए कोई विशेष प्रयास नहीं किया। पाकिस्तान का मानना है की उन्होंने ने भारत को लाहौर पर कब्ज़ा नहीं करने दिया और वो लड़ाई जीत गए।
भारत को चीन का भी डर था (जो बार बार धमकी दे रहा था ) और रूस भी भारत का खुल कर नहीं समर्थन कर रहा था। अमेरिका और ब्रिटैन भी तटस्थ ही थे लेकिन उनकी सहानभूति पाकिस्तान के साथ थी। अकेले भारत महीनो की लड़ाई नहीं लड़ सकता था। इस लिए भारत ने बिना निर्णायक जीत हासिल किये हुए ही युद्धविराम के प्रस्ताव को मान लिया। लेकिन अगर लड़ाई जयादा दिनों तक चलती तो भारत को निर्णायक जीत मिल सकती थी।

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