Saturday, May 4, 2019

चीन ने मसूद अजहर को अंतरराष्ट्रीय आतंकवादी घोषित करने के मामले में अपना रूख बदलने के कारण

चीन बहुत ही चालाक देश हैं और वह केवल अपने फ़ायदे की सोचता हैं ।
  • चीन दुनिया का नया नेता बनना चाहता हैं और वह अपनी ऐसी छवि नहीं बनाना चाहता हैं की लोक उसे आतंकवाद का समर्थन करने वाले देश की तरह देखे ।
  • फ़्रान्स, अमेरिका और ब्रिटेन का बहुत दबाव था । अमेरिका इस मुद्दे पर सुरक्षा परिषद में खुला बहस चाहता था और खुले में कैमरा के सामने चीन किसी आतंकवादी का साथ नहीं दे सकता हैं । वैसे फ़्रान्स ने अपने तरफ़ से तो मसूद अजहर पर पहले से ही प्रतिबंध लगा दिया हैं।
  • वैसे एफ़एटीएफ़ ने पाकिस्तान को ग्रे लिस्ट में डाल कर रखा हैं । अगर चीन मसूद अजहर मामले में पीछे नहीं हटता तो शायद पाकिस्तान को ब्लैक लिस्ट में डाल दिया जाता और इससे चीन का पाकिस्तान में अरबों डॉलर निवेश ख़तरे में पड़ जाता ।
  • भारत ने भी चीन पर बहुत दबाव बनाया हुआ था । प्रधानमंत्री मोदी ने चीन को साफ़ बता दिया था की आपको मसूद अजहर को आतंकवादी घोषित करना ही होगा नहीं तो इसका भारत चीन सम्बंध पर असर होगा । वैसे चीन भारत से व्यापार में सालाना लगभग ६० बिल्यन डॉलर कमाता हैं और वो भारत की हर बात टाल नहीं सकता हैं ।
  • इमरान खान की सरकार चीन से सीपीईसी के कुछ प्राजेक्ट्स के शर्तों को बदलने की माँग रखी हैं । और चीन इस बात से ख़ुश नहीं हैं। शायद इसलिए चीन ने पाकिस्तान को एक झटका दिया ।
ग़ौरतलब बात यह हैं की रूस ने मसूद अजहर के मामले पर खुल का ना तो भारत का साथ दिया और ना ही चीन-पाकिस्तान का ।

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