Friday, July 17, 2020

हागिया सोफ़िया को फिर से मस्जिद में बदलने की कहानी

पूर्वी रोम (बाइज़ैन्टाइन) के सम्राट जस्टिनियन ने सन 537 में कॉन्सटेनटिनोपोल में हागिया सोफ़िया चर्च का निर्माण करवाया था। यह चर्च ऑर्थोडॉक्स इसाइयत का मुख्या केंद्र था और लगभग यह 900 साल तक ईसाइयों के कब्जे में रहा था।
1453 में उस्मानी (ऑटोमन) साम्राज्य के सुल्तान मेहमद द्वितीय ने बाइज़ैन्टाइन की राजधानी कॉन्सटेनटिनोपोल पर कब्ज़ा किया और रोमन साम्राज्य का अंत हो गया। कॉन्सटेनटिनोपोल शहर नाम बदलकर इस्तांबुल कर दिया (ठीक उसी तरह जिस तरह भारत में बहुत सारे शहरों का नाम आक्रमणकारियों ने बदल दिया जैसे प्रयाग को इलाहाबाद, कर्णावती को अहमदाबाद बनाया गया)। इस जीत के बाद कुछ दिनों तक कभी दुनिया के सबसे महान शहरों में से एक रहे कॉन्सटेनटिनोपोल को लूटा गया और इस शहर की सबसे भव्य ईमारत (जो एक चर्च भी था) हागिया सोफ़िया को मस्जिद में बदल दिया गया। इस्लामी वास्तुकारों ने ईसाइयत की ज़्यादातर निशानियों को तोड़ दिया या फिर उनके ऊपर प्लास्टर की परत चढ़ा दी। इससे पहले मस्जिद में शायद हु गुम्बद होती थी और हागिया सोफ़िया को देख कर ही उसके बाद बने मस्जिदों में गुम्बद बनाया जाने लगा। उसके बाद कई शताब्दी बीत गया और प्रथम विश्व युद्ध में हारने के बाद उस्मानी (ऑटोमन) साम्राज्य ख़त्म हो गया और एक नया देश तुर्की बना। हालाँकि तुर्की के प्रथम राष्ट्र प्रमुख मुस्तफ़ा कमाल पाशा ने तुर्की को एक धर्म निरपेक्ष देश घोषित किया लेकिन तुर्की बनने के समय लगभग सभी अल्पसंखयकों को देश से निकाल दिया गया। प्रथम विश्व युद्ध के पहले तुर्की में लगभग 30% गैर मुस्लिम रहते थे लेकिन अब 1% से भी कम रहते है (ठीक उसी तरह जिस तरह पाकिस्तान में हुआ)।
तुर्की को आधुनिक बनाने के लिए मुस्तफ़ा कमाल पाशा ने 1935 में हागिया सोफिया को मस्जिद से म्यूज़ियम में बदल दिया। यह बात इस्लामी कट्टरपंथियों को अच्छी नहीं लगी लेकिन सत्ता उनके पास नहीं थी और वे लोग कुछ नहीं कर सके। अब जा कर तुर्की के तानाशाह और राष्ट्रपति राष्ट्रपति रेचेप तैय्यप अर्दोआन ने इसे फिर से मस्जिद में बदल दिया है। यह बात सभी जानते है कि अर्दोआन एक इस्लामी कट्टरपंथी है और वो तुर्की का पुराना साम्राज्य वापस लाना चाहते है। इसलिए तुर्की की सेना कुर्दो (जो मुसलमान ही है ) को आजकल सीरिया और तुर्की में मारने में लगी हुई है। यह वही अर्दोआन है जो चाहते है कि पूरा कश्मीर पाकिस्तान को मिले क्योंकि वो एक मुस्लिम राज्य है और अर्दोआन को भारत के नए नागरिकता कानून पर भी दिक्कत है। तुर्की के इस फैसले का बहुत विरोध हुआ है। ऑर्थोडॉक्स ईसाई देश ग्रीस और रूस ने इसका कड़ा विरोध किया है। रोमन कैथोलिक पोप फ़्रांसिस, अमेरिका , यूनेस्को इत्यादि ने भी इस फैसले का विरोध किया है।
आज भी हागिया सोफ़िया देखने के लिए दुनिया के कोने कोने से लोग आते है। यह वास्तुकला का एक नायब उद्धरण है। इसे यूनेस्को ने विश्व धरोहर घोषित कर के रखा है।

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