Saturday, July 18, 2020

भारत की राम जन्मभूमि मुद्दे और तुर्की के हागिया सोफिया से तुलना

भारत में तुर्की के राजदूत साकिर ओज़कान टोरुनलर ने हागिया सोफिया और राम जन्मभूमि का मामला सामान है और बाबरी मस्जिद का उल्लेख कर के उन्होंने हागिया सोफिया को मस्जिद बनाने को सही ठहराया है।

मुझे लगता है कि राम जन्मभूमि और हागिया सोफिया (तुर्की के दृष्टिकोण से) की तुलना पूरी तरह से गलत है। संविधान के मुताबिक तुर्की एक धर्मनिरपेक्ष लोकतंत्र है। इसमें कोई संदेह नहीं है कि आधुनिक तुर्की ओटोमन साम्राज्य की तुलना में कहीं अधिक धर्मनिरपेक्ष है लेकिन तुर्की कहीं से मुझे तो धर्मनिरपेक्ष नहीं दीखता हैं। आइए हम पिछले एक शताब्दी में तुर्की के धार्मिक जनसंख्या को देखते है -



पहले विश्वयुद्ध के शुरू में तुर्की की लगभग 30% आब्दी गैर मुस्लिम थी। सैकड़ों शाब्दियों के उस्मानी साम्राज्य के क्र्रूरता के बाद भी तुर्की में बड़ी संख्या में ग्रीक और अर्मेनिया के लोग रहते था। कई तुर्की के शहर और प्रांतो में ग्रीक लोगो की बहुलता थी। लेकिन जब कमाल अतातुर्क उर्फ मुस्तफ़ा कमाल पाशा ने आधुनिक तुर्की की स्थापना किया तो उन्होंने ग्रीक लोगों को तुर्की से भगा दिया। आपको ऐसा ही कुछ पाकिस्तान में देखने को मिल जायेगा जहाँ करांची और लाहौर में 1947 तक गैर मुस्लिम बहुलता थी। जिन्ना तो मुस्तफ़ा कमाल पाशा को अपना आदर्श मानते थे। आज तुर्की में 0.2 % से भी कम गैर मुस्लिम रहते है।

आइए हम पिछले 70 सालों में भारत की धार्मिक जनसंख्या को देखते है -
मेरा अनुमान है कि भारत में हिंदुओं का कुल जनसँख्या में वर्तमान प्रतिशत 76% से 78% के बीच कहीं होगा। भारत वह देश है जहाँ को आबादी का पांचवा हिस्से से अधिक से अधिक आबादी गैर-हिंदू है (और यह साल दर साल बढ़ रही है) और तुर्की में यह 0.2% है। क्या भारत और तुर्की में धर्मनिरपेक्षता की तुलना की जा सकती है? हमारे पिछले प्रधानमंत्री अल्पसंख्यक समुदाय से थे और भारत में अभी तक 14 में से 4 राष्ट्रपति अल्पसंख्यक समुदाय से हुए है। हां, भारत की अपनी धार्मिक समस्याएं हैं और कोई भी इसे मुँह नहीं मोड़ सकता है। लेकिन जब आपके देश में मानवता का पांचवा हिस्सा रहता है तो स्वाभाविक है कि कुछ दिक्कतें आएंगे। अब हम राम जन्मभूमि और हागिया सोफिया की तुलना करते हैं।


  • हागिया सोफिया एक पहले चर्च था और पूर्वी रूढ़िवादी ईसाई धर्म (ईस्टर्न ऑर्थोडॉक्स ईसाई) के सबसे महत्वपूर्ण चर्चों में से एक था। 1453 में बीजान्टिन साम्राज्य के पतन के बाद उस्मानी साम्राज्य ने इस चर्च को एक मस्जिद में बदल दिया गया था। 1526 में, बाबर द्वारा भारत में मुगल साम्राज्य की स्थापना की गई थी और 1528 में बाबर के निर्देश पर मीर बाक़ी ने भगवान राम के जन्मस्थान पर एक प्राचीन मंदिर को नष्ट कर दिया और उसी जगह पर एक मस्जिद बना। तो यहां आप समानता पा सकते हैं कि विदेशी आक्रमणकारियों द्वारा चर्च और मंदिर को नष्ट कर दिया गया था।


  • 1935 में, हागिया सोफिया को संग्रहालय में मुस्तफ़ा कमाल पाशा (तुर्की के पहले राष्ट्रपति) द्वारा परिवर्तित किया गया था। अतातुर्क की दृष्टि तुर्की को एक आधुनिक राष्ट्र बनाने की थी। दूसरी ओर बाबरी मस्जिद को 1992 में तोड़ दिया गया एक भारतीय के रूप में मैं स्वीकार करता हूं कि यह भारतीय इतिहास में एक दुर्भाग्यपूर्ण घटना थी। वैसे भी इस मस्जिद में दशकों से पूजा पाठ होता रहा था।


  • अब भारतीय सर्वोच्च अदालत ने हिंदुओं को भूमि वापस दे दी है (हिंदू धर्म और इतिहास में इसके महत्व के आधार पर) जबकि तुर्की की अदालतों ने कहा है कि हागिया सोफिया को संग्रहालय के रूप में परिवर्तित करने का निर्णय अवैध था (मैं तुर्की की न्यायपालिका का पूरा सम्मान करता हूं) इसलिए, राम जन्मभूमि को उसके मूल धर्म के अनुयायियों को वापस लौटा दिया गया है जबकि हागिया सोफिया को उसके मूल धर्म के अनुयायियों को वापस नहीं लौटाया गया है। हागिया सोफिया को 537 ईस्वी में बनाया गया था लेकिन 325 ईस्वी पूर्व से एक चर्च वहां मौजूद था जो पेगन मंदिर के स्थान पर बनाया गया था। अब दुनिया में शायद ही पेगन धर्म के कोई अनुयायी बचे हैं।

  • इसलिए, मुझे लगता है कि भारत में तुर्की के राजदूत द्वारा हागिया सोफिया और राम जन्मभूमि के बीच तुलना त्रुटिपूर्ण है।

और मैं समझ सकता हूं कि हागिया सोफिया को चर्च में परिवर्तित नहीं किया जा सकता है क्योंकि तुर्की में शायद ही कोई यूनानी (रूढ़िवादी ईसाई) रहता है लेकिन भारत में तीन चौथाई से अधिक आबादी अभी भी हिंदू है और भारतीय अदालतों ने मुसलमानों को पास में एक मस्जिद बनाने के लिएअतिरिक्त जमीन देने का प्रावधान किया है

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