Monday, September 28, 2020

बिहार 2020 चुनावों में जातीय समीकरण

2020 में भी भारत की राजनीति में जाति और धर्म महत्वपूर्ण भूमिका निभाते हैं। ऐसा मन जाता है कि बिहार और यूपी में जाति की राजनीति बहुत अधिक होती है लेकिन किन यह पूरे भारत की समस्या है। जाति के समीकरण महाराष्ट्र, कर्नाटक, केरल आदि जैसे अधिक शिक्षित और विकसित राज्यों में भी महत्वपूर्ण भूमिका निभाते हैं।

  • बिहार में जाति की शक्ति को उस जाति के विधायक की संख्या के अनुपात में माना जाता है। कोई नेता कुछ करे या न करे उनके जाती के लिए यह देख कर खुश रहते है कि वो सत्ता में है। कई अन्य राज्यों के विपरीत, बिहार में मुद्रा शक्ति की तुलना में राजनीतिक शक्ति का अधिक बोलबाला है। हमेशा की तरह 2020 के विधानसभा चुनाव में जाति की राजनीति महत्वपूर्ण भूमिका निभाने वाली है। लेकिन फिर हर गुजरते चुनाव के साथ जाति की रेखाएँ धुंधली होती जा रही हैं। अन्यथा मोदी 2014 और 2019 के आम चुनाव में बिहार नहीं जीत पाते। लेकिन 2015 के आम चुनाव में जाति की राजनीति फिर से सामने आई और ग्रैंड अलायंस ने भाजपा को अपमानित किया। आइए देखते हैं कि जाति समीकरण 2020 के चुनाव को कैसे प्रभावित कर सकता है।
  • राजद (यादव + मुस्लिम) का मुख्य वोट बैंक अभी भी उनके साथ है। और राजद-कांग्रेस गठबंधन का मतलब है कि उन्हें लगभग सभी मुस्लिम वोट मिलेंगे। इस गठबंधन में उत्तर-पूर्व बिहार (कटिहार और पूर्णिया का क्षेत्र जो बांग्लादेश के बहुत निकट है) में मुस्लिम बहुल सीटों पर हावी होने की क्षमता है। लेकिन ओवैसी की एआईएमआईएम राजद के नेतृत्व वाले महागठबंधन को नुकसान पहुंचा सकती है क्योंकि उन्होंने पिछले साल किशनगंज उपचुनाव में जीत हासिल कर सबको चौंका दिया था।
  • बीजेपी धीरे-धीरे यादव समुदाय की दूसरी पसंद बनती जा रही है। अभी भी आरजेडी यादव समुदाय की पहली पसंद है लेकिन बीजेपी कुछ वोट हासिल करने की कोशिश कर रही है क्योंकि बीजेपी केंद्रीय गृह राज्य मंत्री नित्यानंद राय (यादव समुदाय के एक नेता) के रूप में एक नया नेतृत्व बनाने की कोशिश कर रही है। कुछ क्षेत्रों में जहां बीजेपी के पास रामकृपाल यादव और नित्यानद राय जैसे मजबूत यादव नेता हैं, वहां बीजेपी को महत्वपूर्ण यादव वोट मिल सकते हैं।
  • गैर-यादव ओबीसी में, कोइरी और कुशवाहा समुदाय उपेंद्र कुशवाहा के उभरने के बावजूद नीतीश कुमार के साथ हैं। नीतीश कुमार की लोकप्रियता के कारण अन्य ओबीसी (जिसे एमबीसी कहा जाता है) के बीच जदयू की पहुंच राजद और भाजपा के मुकाबले अधिक है।
  • दलितों में लोजपा के पास पासवान समुदाय के बीच एक वोट बैंक है, लेकिन महादलित (दलितों का एक उप-वर्ग) समुदाय में नीतीश कुमार को बढ़त हासिल है। राजद, कांग्रेस और भाजपा भी दलितों वोट के एक हिस्सों को प्राप्त कर सकते हैं। नीतीश कुमार एमबीसी और महादलितों के बीच वोट बैंक बनाने में बहुत सफल रहे हैं।
  • बीजेपी को सबसे ज्यादा सवर्ण वोट मिलने की संभावना है। कांग्रेस के पास अभी भी उच्च जाति के बीच एक छोटा लेकिन वफादार वोट बैंक है। जेडी (यू) और आरजेडी में कुछ उच्च जाति के नेता हैं जो अअपने क्षेत्रो में स्वजातीय वोट प्राप्त कर सकते हैं। राजद के प्रदेश अध्यक्ष जगदानंद सिंह राजपूत हैं, लेकिन ऐसा लगता है कि रघुवंश बाबू की मौत के बाद राजद ने अपने छोटा लेकिन असरदार राजपूत वोट बैंक खो दिए हैं। साथ ही पिछले साल राजद ने संसद में सामान्य वर्ग के गरीबों के आरक्षण का विरोध किया है।
  • कागज पर एनडीए को जातिय समीकरण में बढ़त हांसिल है। यह स्पष्ट है कि नीतीश कुमार अब पहले जितने लोकप्रिय नहीं है और बहुत लोग बदलाव चाहते है। लेकिन उनके प्रतिद्वंदी तेजस्वी यादव राजीनीति में नीतीश कुमार से बहुत पीछे है। प्रधानमंत्री मोदी बिहार में बहुत लोकप्रिय हैं और वे एक ठोस गठबंधन के साथ चुनाव के परिणाम को बदल सकते हैं। कांग्रेस एकमात्र ऐसी पार्टी है जिसे सभी समुदाय के वोट मिलते हैं लेकिन फिर वह इतनी कमजोर है कि वह अपने दम पर 5 से 10 सीटें भी नहीं जीत सकती है। बिहार में तीन प्रमुख राजनीतिक दल हैं - भाजपा, राजद और जद (यू), और कुछ छोटे दल जैसे लोजपा, कांग्रेस, आदि। इसलिए अंकगणित रूप से भाजपा और जद (यू) का राजद और कांग्रेस पर बढ़त है। लेकिन कोई भी चुनाव वोट डालने तक बदल सकता है।

कोरोना, लौटने वाले प्रवासी मजदूर अभी भी एनडीए को परेशान कर सकते हैं, लेकिन राजद शासन के वैकल्पिक मॉडल को प्रस्तुत करने में विफल रहा है। 2020 में भी लालू-राबड़ी युग (1990-2025) की याद राजद को परेशान करती है। कोरोना के समय मतदान के दिन मतदाताओं को वोट देने ले जाना और गठबंधनो में सीटों का बंटवारा, अंतरकलह को रोकना इत्यादि चुनाव परिणाम को प्रभावित कर सकते है। बीजेपी को अभी भी बिहार में सोशल मीडिया के मामले में पर दूसरों पर अच्छी बढ़त हासिल है और यह वर्चुअल चुनावी रैलियों में महत्वपूर्ण हो सकता है।

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