Friday, March 4, 2022

अटल बिहारी वाजपेयी सरकार का परमाणु परिक्षण करने का निर्णय एक अच्छा निर्णय

सोवियत संघ के टूटने के बाद यूक्रेन दुनिया की तीसरी सबसे बड़ी परमाणु शक्ति देश था। यूक्रेन के पास 1,272 बड़े परमाणु हथियार और 2,500 सामरिक परमाणु हथियार (छोटे पेलोड परमाणु हथियार) थे (कुल 3772 परमाणु बम)।

1994 में यूक्रेन ने अपने परमाणु शस्त्रागार को छोड़ने का फैसला किया। इस समझौते को बुडापेस्ट ज्ञापन के रूप में जाना जाता है और इस समझौते में अमेरिका, ब्रिटेन और रूस ने यूक्रेन की सुरक्षा की गारंटी दी। अगर यूक्रेन ने परमाणु हथियार नहीं छोड़े होते तो रूस इतनी आसानी से यूक्रेन पर हमला नहीं करता। आज यूक्रेन का हर नागरिक उस फैलसे पर पछता रहा है।

पाकिस्तान ने 1971 के युद्ध में अपमानजनक हार और भारत का 1974 का पहला परमाणु परीक्षण के बाद अपनी परमाणु योजना पर काम करना शुरू किया । अफगानिस्तान में सोवियत हस्तक्षेप के बाद, चीन ने पाकिस्तान को परमाणु बम बनाने में मदद की और अमेरिका ने पाकिस्तान को उसके परमाणु हथियारों के लिए किसी भी आलोचना से बचाया। अमेरिकियों ने पाकिस्तानियों को बहुत पैसा भी दिया। ऐसा माना जाता है कि चीन के प्रत्यक्ष और अमेरिका के अप्रत्यक्ष मदद से पाकिस्तान ने 1980 के दशक के अंत तक परमाणु हथियार बना लिए थे। ऐसा माना जाता है कि बेनजीर भुट्टो सरकार ने (वास्तव में विदेश मंत्री ने) भारत की वी पी सिंह सरकार को दिल्ली में एक वार्ता के दौरान परमाणु हथियार की धमकी दी थी। भारत के पास कोई जवाब नहीं है और भारत सरकार ने अपने परमाणु हथियारों के बारे में गंभीरता से सोचने का फैसला किया क्योंकि चीन भी तागतवर होता जा रहा था। पी वी नरसिम्हा राव सरकार ने 1995 में परमाणु परिक्षण का फैसला किया लेकिन अमेरिकियों को इन परीक्षणों के बारे में पता चला और उन्होंने भारत पर परमाणु परीक्षण की योजना को छोड़ने का दबाव डाला।


Image Source - BBC

पी वी नरसिम्हा राव ने अगले प्रधान मंत्री अटल बिहारी वाजपेयी को परमाणु परीक्षण करने की सलाह देते हुए एक नोट दिया था। हालांकि वाजपेयी सरकार 13 दिनों में गिर गई और जब वाजपेयी सरकार 1998 में फिर से सत्ता में आने पर 5 परमाणु परीक्षण किए। परमाणु हथियार सुरक्षा छतरी की गारंटी नहीं देते हैं लेकिन ये मजबूत निवारक हथियार हैं। अब चीन या पाकिस्तान को भारत पर पूर्ण युद्ध छेड़ने से पहले कई बार सोचना पड़ सकता है। अमेरिका, यूरोप, ऑस्ट्रेलिया, कनाडा, जापान आदि ने परमाणु परीक्षणों के लिए भारत पर प्रतिबंध लगाया लेकिन यह भुगतान करने योग्य कीमत थी। अब इन सभी देशों के साथ भारत के अच्छे संबंध हैं और मुझे लगता है कि 1998 के परमाणु परीक्षण भारत गणराज्य के सबसे साहसिक निर्णयों में से एक थे।

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