Friday, March 4, 2022

यूक्रेन का इतिहास

 यूक्रेन एक बड़ा यूरोपीय देश है। क्षेत्रफल के हिसाब से यूक्रेन रूस के बाद यूरोप का सबसे बड़ा देश है। यूक्रेन जर्मनी से डेढ़ गुना , ब्रिटेन से ढाई गुना अधिक बड़ा है। हालाँकि डोनबास के दो देश और क्रीमिया के अलग होने से बाद यूक्रेन थोड़ा छोटा हो जायेगा लेकिन फिर भी यह यूरोप में दूसरे स्थान पर ही रहेगा। आबादी के हिसाब से यूक्रेन यूरोप का 8वा सबसे बड़ा देश है।

रूसी सभयता की शुरुवात वाइकिंग लोगो के पूर्वी यूरोप में स्लाविक क्षेत्रों में बसने से हुई थी। इसे "कीवेन रूस" (नौवीं सदी से बारहवीं सदी) कहा जाता था जिसकी राजधानी वर्तमान यूक्रेन की राजधानी कीव और उससे पहले रूसी शहर नोव्गोरोड थी। रूस , बेलारूस और यूक्रेन अपने आप को कीवेन रूस का उत्तरधिकारी मानते है। मंगोलो ने कीवेन रूस को तहस नहस कर डाला और इसके कई टुकड़े हो गए। उसके बाद तेरहवीं सदी में कीवेन रूस का एक हिस्सा मॉस्को पर राज करने लगा (यही राज्य आगे चल कर रूसी साम्रज्य बना) लेकिन पूर्वी कीवेन रूस (जो आज का यूक्रेन है) मंगोलों के एक हिस्से (गोल्डन होर्डे) के कब्जे में आ गया। चौदहवीं सदी में पोलैंड ने वर्तमान यूक्रेन के बड़े भूभाग पर कब्ज़ा कर लिया और गोल्डन होर्डे के उत्तराधिकारी क्रीमियन खानेत ने क्रीमिया सहित वर्तमान दक्षिण यूक्रेन पर कब्ज़ा कर लिया। मंगोल हमलों के बाद से रूस और यूक्रेन अलग हो गए थे इसलिए धीरे धीरे दोनों क्षेत्रों में पुराने पूर्वी स्लाविक भाषा से तीन भाषाओ का जन्म हुआ - यूक्रेनी, बेलारूसी और रूसी भाषा। चूँकि यूक्रेन पर पोलैंड का कब्ज़ा रहा तो बहुत से शब्द पोलिश भाषा के शब्द यूक्रेनी भाषा में आ गए।

सत्रहवीं सदी में यूक्रेनी कोसैक (पूर्वी स्लाविक ईसाई लोग जो यूक्रेनी भाषा बोलते थे) ने पोलैंड लिथुआनिया के खिलाफ विद्रोह कर दिया और कोसैक हेटमैनेट नाम का एक छोटा देश बनाया। यूक्रेन के लोग इसी देश को यूक्रेन की शुरुवात मानते है। लेकिन ये लोग पोलैंड के सामने कमजोर थे और इन्होने रूसी साम्राज्य की अधीनता स्वीकार कर लिया। इसे पेरियास्लाव की संधि (1654) कहा जाता है। उसके बाद से यह क्षेत्र 1991 तक रूसी कब्जे में रहा। रूसी जार हमेशा से यूक्रेन को अपना क्षेत्र मानते थे इसलिए वो यूक्रेन की सीमा का विस्तार करने लगे। रूसी साम्राज्य ने पोलैंड को कई युद्धों में हराया और उसके भूभाग को पोलैंड में शमिल कर लिया। 1917 में रूसी साम्राज्य का पतन हुआ और बोल्शेवक कम्युनिस्ट रूस पर राज करने लगे और सोवियत संघ का उदय हुआ। सोवियत संघ में बहुत से गणतंत्र थे जैसे रूस , बेलारूस, यूक्रेन इत्यादि। सोवियत संघ ने रूसी गणतंत्र से एक बड़ा हिस्सा ले कर 1922 में यूक्रेन गणतंत्र को दे दिया और इसमें रूसी भाषा बोलने वाले लोग बहुत राहत थे। बहुत से रूसी लोगों के पलायन के बाद भी आज इस क्षेत्र में बहुत रूसी रहते है और इसी के एक हिस्से डोनबास में पुतिन ने दो नए देश बनवाया है।

जब दूसरे विश्वयुद्ध की 1939 में शुरुवात हुई तो जर्मनी और सोवियत संघ ने मिल कर पोलैंड पर कब्ज़ा किया और सोवियत संघ ने पोलैंड का कुछ हिस्सा यूक्रेन को दे दिया। फिर जर्मनी और सोवियत संघ के बीच युद्ध हुआ और जर्मनी ने सोवियत संघ के यूक्रेन पर कब्ज़ा कर लिया। बहुत से यूक्रेन के लोगो ने जर्मनी का साथ भी दिया और बहुत से लोग सोवियत संघ के साथ थे। फिर सोवियत संघ युद्ध में विजयी हुआ और उसने अपने भू भाग को वापस जर्मनी से ले लिया। उसके बाद सोवियत संघ ने पोलैंड को पश्चिम में स्थानांतरण कर दिया। मतलब यह कि पूर्वी जर्मनी पोलैंड को मिला और पूर्वी पोलैंड पर सोवियत संघ ने कब्ज़ा किया और उसे यूक्रेन को दे दिया। स्टालिन के बाद निकिता ख्रुश्चेव सोवियत संघ के राष्ट्रपति बने और वे जन्म से उक्रेनी थे। इसलिए उन्होंने 1954 में उन्होंने क्रीमिया को रूस से हटा कर यूक्रेन को दे दिया। इस तरह उक्रेनी गणराज्य इतना बड़ा हुआ। यह अलग बात है कि पुतिन ने 1954 का हवाला देते हुए 2014 में क्रीमिया पर फिर से कब्ज़ा कर लिया।





यह चित्र दिखलाता है कि कैसे यूक्रेन एक छोटे देश से बड़ा देश बना। इस चित्र में केवल पीला वाला क्षेत्र ही यूक्रेन का अपना था बांकी सब रूस ने दिया है। चित्र श्रोत - wikimedia commons.

1991 तक सोवियत संघ में 15 गणराज्य थे और जब सोवियत संघ टूटा तो ये सारे 15 गणराज्य अलग अलग हो गए। रूस का बड़ा भूभाग कज़ाकिस्तान , यूक्रेन आदि को दे दिया गया था लेकिन वो सब रूस को नहीं मिला। पहले सोवियत संघ एक ही था तो उसके गणराज्यों की सीमा बदलती रहती थी क्योंकि सब तो एक ही देश था। किसी को पता नहीं था कि सोवियत संघ ऐसे टूट जायेगा और आज यह मध्य एशिया, काकेशस, यूक्रेन इत्यादि में बहुत बड़ी समस्या है।

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