चीन की अर्थव्यवस्था और सैन्य शक्ति भारत से अधिक है। चीनी सेना संख्या में भी भारत से बड़ी है लेकिन दोनों सेना में सबसे बड़ा अंतर है कि भारत की सेना अपने शहीदों का उचित सम्मान करती है।
15 और 16 जून की रात को गलवान घाटी के झड़प में 20 भारतीय सैनिक वीरगति को प्राप्त हुए और 40 - 50 चीनी सैनिक भी मारे गए। भारत की सेना ने अपने शहीद सैनिकों के बारे में सच्चाई बतायी और उनके नाम जारी किये।
आप आज किसी भी समाचार पत्र या न्यूज़ चैनल को खोलेंगे तो आपको शहीदों के बारे में पढ़ने को मिलेगा और उनकी अंतिम यात्रा के चित्र देखने को मिलेंगे। सेना, सरकार और जनता इस शहीदों को उचित सम्मान दे कर विदा कर रही है।
शहीद कर्नल संतोष बाबू
शहीद संतोष कुमार
ये दोनों चित्र दैनिक जागरण से लिया गया है।
इसी तरह सभी 20 शहीदों को विदा किया जा रहा है। भारत की जनता आज गमगीन है लेकिन उन्हें गर्व भी है कि उनके बहादुर जांबाज मर कर मरे है। वो लता मंगेशकर द्वारा गया हुआ शहीद फिल्म का गाना याद आता है - "दस-दस को एक ने मारा फिर गिर गये होश गँवा के"। वही चीन को देखिये उसने तो यह बताने से इंकार कर दिया कि कितने उनके सैनिक मरे है। केवल एक चीनी पत्रकार का ट्वीट आया कि चीन की सेना बोली है कि वह मरने वालो की संख्या नहीं बतएगी।
सभी ट्वीट ट्विटर से लिया गया है।
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